देवब्रत मंडल
पूर्व मध्य रेल के डीडीयू रेल मंडल के एक रेलवे स्टेशन को अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। पुराने स्टेशन बिल्डिंग को तोड़ दिया गया है। जिससे यात्रियों को बहरहाल असुविधा हो रही है लेकिन यात्रियों के हितों का ख्याल रखने की भरपूर कोशिश की जा रही है। लेकिन यह कोशिश कितनी कारगर साबित हो रहा है इसका ताजा उदाहरण गया जंक्शन है।
सालों भर आते जाते रहते हैं तीर्थयात्री व पर्यटक
गया जंक्शन पर सालों भर पिंडदान करने के लिए तीर्थयात्रियों का आना जाना लगा रहता है। वहीं ज्ञान की भूमि बोधगया भी देसी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा ही रहता है। ऐसे में फिलहाल जो वैकल्पिक व्यवस्था की गई है उससे यात्रियों को कितना लाभ पहुंच रहा है, इसका प्रमाण इस खबर के साथ दिखाई गई तस्वीर है।
अस्थायी प्रतीक्षालय में लगा वाटर बूथ बगैर पानी व नल का
गया जंक्शन के बाहरी परिसर में टिकट बुकिंग काउंटर है। ठीक इसी के सामने एक अस्थायी रूप से प्रतीक्षालय बनाया गया है। यहाँ कुछ कुर्सियां, बिजली के पंखे, प्रकाश की व्यवस्था की गई है लेकिन यात्रियों को जब ‘नेचुरल कॉल’ की तलब होती है तो लाचार नजर आए। यह नजारा शनिवार को यहाँ पर देखने को मिला। वहीं वाटर बूथ की सच्चाई नजर आई कि इसमें न तो नल लगे हुए हैं और न पानी आपूर्ति की जा रही थी। हालांकि साफ सफाई और सुरक्षा की व्यवस्था नजर आई।
यात्रियों ने कहा– आने वाले दिन को किसने देखा
यहाँ ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे नवादा जिले के एक यात्री रामेश्वर प्रसाद कहते हैं गर्मी कितना है आप देख ही रहे हैं लेकिन पीने के पानी की व्यवस्था नदारद है। केवल दिखावे के लिए वाटर पोस्ट लगा दिया गया है। इसमें पानी नहीं आ रहा। महिला यात्री रागिनी देवी कहती हैं कि ‘नेचुरल कॉल’ की तलब हुई तो ढूंढते रह गए मिला नहीं। इन सभी ने कहा कल गया जंक्शन पर बहुत कुछ हो सकता है लेकिन आज जो है उसकी बात कीजिये। कल किसने देखा है।
बोतलबंद पानी की बिक्री बढ़ी हुई थी
इस वैकल्पिक प्रतीक्षालय में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण आसपास लगी दुकानों पर बोतलबंद पानी की बिक्री बढ़ी हुई है। इन दुकानों पर यात्रियों को पानी के एक बोतल की कीमत दुकानदार जो मांग लिया वही है। मजबूर यात्री करे भी तो क्या, गर्मी जो इतनी है।