देवब्रत मंडल
वैसे तो हर जाति और वर्ग के लोग राजनीति में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग करते हुए आ रहे हैं। बिहार में हाल ही में हुए जातीय जनगणना के बाद माहुरी समाज के लोगों की चिंता बढ़ गई है कि उन्हें अलग से स्थान सूची में नहीं दिया गया है तो कैसे फिर अपनी हिस्सेदारी की वकालत करेंगे। अब जब देश में लोकसभा चुनाव की बारी आई है तो माहुरी समाज अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए अपनी हिस्सेदारी के लिए भी तैयारी शुरू कर दिया है। गया में मकर संक्रांति के अवसर पर माहुरी वैश्य मंडल की जिला इकाई की वार्षिक आमसभा हुई। जिसमें गत वर्ष के आय व्यय का लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया। साथ ही एक वर्ष में समाज के जरूरतमंद लोगों को किस किस अवसर पर उन्हें आर्थिक रूप से मदद की गई, उसका भी विवरण आय-व्यय प्रस्तुत करने वक्त सामने रखा गया। इसके बाद आमसभा में उसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
आमसभा की अध्यक्षता मंडल के अध्यक्ष संजय कुमार ने व संचालन सचिव अमित कुमार ने किया। इस मौके पर विशेष आमंत्रित सदस्य गया नगर निगम के सशक्त स्थायी समिति के सदस्य वार्ड नंबर 20 के पार्षद ने अपने अभिभाषण में इस बात पर जोर दिया कि समाज का अपना एक डेटाबेस तैयार करना जरूरी है जिससे यह पता चल सके कि समाज के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति क्या है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि माहुरी समाज के लोगों के द्वारा ही जनगणना करवाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि यह कार्य नगर निगम चुनाव 2022 के पूर्व कई वार्ड में कराया गया था लेकिन कतिपय कारणों से यह कार्य पूरा नहीं हो सका। जिसे आगे बढ़ाते हुए जनगणना का कार्य पूरी पारदर्शिता के साथ करना होगा। पार्षद इस प्रस्ताव पर आमसभा में सर्वसम्मति बनी कि बिहार में हुए जातिगत आर्थिक सर्वेक्षण में काफी कमी देखी गई है। माहुरी समाज(जाति) की अलग से आंकड़ा देखने को नहीं मिलता है। इसलिए अपने समाज का एक डेटा तैयार करना समय की मांग है। ताकि समाज में संपन्न वर्ग और जरूरतमंद लोगों के बीच जो विषमता है, उसे दूर करने के लिए सम्यक रूप से प्रयास किया जा सके।
आमसभा में अन्य वक्ताओं ने भी समाज का डेटा बेस तैयार करने के लिए जनगणना कराने की आवश्यकता महसूस करते हुए इसे शीघ्र शुरू करने की बात कही। बैठक में माहुरी वैश्य मंडल के पदेन पदाधिकारी और समाज की महिलाओं की भी अच्छी भागीदारी रही।