देवब्रत मंडल
आप में से अधिकांश लोगों ने ट्रेन से सफर तय किया होगा। ट्रेन के सबसे अंतिम बोगी में रेलवे के गार्ड साहेब रहते हैं जो झंडी दिखाकर और सीटी बजाकर ट्रेन को स्टार्ट करने के लिए चालक को संकेत देते हैं। यात्री भी गार्ड साहेब द्वारा बजाने वाली सीटी की आवाज सुनकर अपने अपने कोच में सवार हो जाते हैं और जो बैठे रहते हैं उन्हें मालूम पड़ जाता है कि अब ट्रेन खुलने वाली है। अब आप सोच रहे होंगे कि सीटी बजने और झंडी दिखाने का काम तो हर गार्ड करते हैं लेकिन इससे हमें क्या मतलब? जी आपको इससे मतलब नहीं हो शायद पर यह जानना चाहेंगे कि इस सीटी और झंडी का वजन कितना होता है। नहीं जानते हैं तो जानकारी दे रहे हैं कि सीटी का वजन 34 ग्राम और हरे और लाल रंग की झंडी का वजन 375 ग्राम(स्टिक के साथ) होता है। ये हम नहीं बल्कि रेलवे के RDSO ने तय किया है। इस गार्ड बक्से को रेल की भाषा में ‘लाइन बॉक्स’ या ‘ब्रीफ़केस’ कहा जाता है।
क्या हुआ ऐसा कि वजन से बढ़ी परेशानी
दरअसल, उत्तर प्रदेश के रहनेवाले एक सख्श रघुवेंद्र प्रताप सिंह नामक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार नियम के तहत रेलवे से जानकारी देने को कहा है कि गार्ड बॉक्स और इनमें रखी जाने वाली जरूरी चीजों का रेलवे ने कितना मानक वजन तय किया है। क्योंकि इस बॉक्स को रेलवे में काम करने वाले चतुर्थवर्गीय कर्मचारी(जिन्हें बॉक्स पॉर्टर कहा जाता है) द्वारा गार्ड बोगी में ले जाकर रखता है और यहां से लेकर जंक्शन पर बने एक जगह पर रखने जाता है। जिसकी ढुलाई करने में उन्हें या तो खुद उठाकर ले आना जाना पड़ता है तो कहीं तय मानक वजन से अधिक का वजन तो इस बक्से का नहीं होता है। जिससे बॉक्स पॉर्टर ढुलाई करते समय उसे अधिक बोझ बन जाता है। जो ह्यूमन राइट्स का भी मामला बन सकता है।
इस तरह का पत्र आते ही रेल अधिकारी और गार्ड दोनों हैं परेशान
इस आशय का पत्र गया जंक्शन के संबंधित अधिकारियों के पास हाल ही में आया है तो संबंधित अधिकारियों और ट्रेन के गार्ड साहेब दोनों की परेशानी बढ़ गई है। अब हाल है कि गार्ड साहेब के बक्से का वजन होने लगा है। कुछ गार्ड के नाम के साथ उनके बक्से का वजन भी किसी ने करवाया है तो तय मानक वजन से काफी अधिक का वजन रिकॉर्ड किया गया है। अब तो बजाप्ता गया और डीडीयू मुख्यालय के गार्ड को इसकी सूचना दी जा रही है कि वे अपने अपने बक्से का वजन कराकर सूचित करें कि उनके बॉक्स का वजन कितना है।
मेल/एक्स.और गुड्स ट्रेन के गार्ड बॉक्स का वजन कितना होना चाहिए
रेल मंत्रालय के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक/संरक्षा गिरिश चंद्रा द्वारा 2006 में एक पत्र No. 2003/TT(I)/51/12 रेलवे के सभी महाप्रबंधक, मेट्रो रेलवे, कोलकाता, कोंकण रेलवे कारपोरेशन, नवी मुंबई को एक पत्र जारी कर बताया गया था कि मेल/एक्सप्रेस/पैसेंजर ट्रेन और गुड्स ट्रेन में काम कर रहे गार्ड्स के बक्से में क्या क्या सामान होना चाहिए और उन सामानों का वजन कितना होना चाहिए जिसे RDSO ने मानक तय किया है। जानकारी के मुताबिक मेल/एक्सप्रेस/पैसेंजर्स ट्रेन के गार्ड के बक्से का कुल मिलाकर(बॉक्स और इनमें रखे जाने वाले सामान) का वजन करीब 12 किग्रा और गुड्स गार्ड के बक्से का वजन इससे थोड़ा कम करीब 11 किग्रा के आसपास होना चाहिए। रेल मंत्रालय के द्वारा जारी पत्र के अनुसार मेल/एक्सप्रेस/पैसेंजर ट्रेन के गार्ड के बक्से में रखी जानी वाली आवश्यक वस्तुओं का कुल वजन 6.14 किग्रा और मालगाड़ी के गार्ड के बक्से में रखी जानेवाली वस्तुओं का वजन 5.449किग्रा होना चाहिए।
पांच से छः गुणा अधिक वजन की बात आ रही है सामने
Magadhlive की टीम को जब यह जानकारी प्राप्त हुई कि गार्ड बॉक्स के वजन को लेकर किसी ने आरटीआई एक्टिविस्ट ने सवाल खड़े किए हैं तो इस पर काम शुरू किया है। इस खास रिपोर्ट को तैयार करने के क्रम में जो जानकारियां हासिल हुई है, उसी के आधार पर कह सकते हैं कि रेल मंत्रालय ने गार्ड बॉक्स को लेकर जो निर्देश जारी कर रखा है, उसका अनुपालन शायद ही रेलवे स्टेशनों पर होता होगा या हो रहा है। हालांकि magadhlive की टीम ने इस गार्ड बॉक्स का न तो वजन करने का और करवाने का अधिकार रखता है लेकिन चर्चा है कि तय मानक वजन से पांच से छः गुणा अधिक वजन वाला बक्से की ढुलाई बॉक्स पोर्टर कर रहे हैं लेकिन इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि कोई भी रेल अधिकारी करने को न तो सामने आ रहे हैं और न तो इसके लिए तैयार हैं। पर इतना तो तय है कि गार्ड बॉक्स के वजन को लेकर अधिकारियों और गार्ड की परेशानी बढ़ गई है।