देवब्रत मंडल
लोकसभा चुनाव 2024 की तिथि इसी महीने घोषित किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने कई राज्यों के लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की एक सूची जारी कर अन्य दलों की दिल की धड़कनें बढ़ा दी है। फिलहाल बिहार के 40 सीटों के लिए किसी भी दल की ओर से ऐसी घोषणा नहीं की गई है लेकिन कुछ दिनों में उम्मीदवार के नाम की घोषणा भी कर दिए जाने की उम्मीद है। इन्हीं उम्मीदों के ‘पर’ लगाए कई संभावित उम्मीदवार उड़ान भर रहे हैं।
क्या सांसद विजय मांझी पर दांव लगेगा?
गया संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए सुरक्षित है। सांसद विजय कुमार मांझी पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के जॉइंट उम्मीदवार थे और जीत भी गए। 2019 में जदयू-भाजपा गठजोड़ था। इस बीच इन दोनों के बीच बनते बिगड़ते रिश्ते फिर से कायम हो गया है। अब यहां विजय कुमार मांझी पर फिर से यह गठबंधन दांव लगाएगा या नहीं यह तो आने वाले कुछ दिनों से सब साफ हो जाएगा।
संतोष मांझी या फिर भाजपा का नया चेहरा
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम (से.) गया संसदीय क्षेत्र पर अपना दावा करते हुए संभावित उम्मीदवार के रूप में संतोष कुमार मांझी को चुनाव मैदान में उतारने की मंशा से काम कर रही है। जीतनराम मांझी पिछली बार चुनाव लड़कर देख चुके हैं। अब इनके बेटे पर एनडीए दांव लगाएगी या सांसद विजय कुमार मांझी को ही रिपीट करेगी ये तो भाजपा-जदयू-हम की समन्वय समिति द्वारा तय किया जा सकता है। कयासों के इस दौर में भाजपा अपना किसी नए उम्मीदवार भी घोषित कर दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं।
महागठबंधन से राजद को मिल सकता है यह सीट
रहा सवाल महागठबंधन की तो यह साफ ही है कि यहां कांग्रेस अपना उम्मीदवार देने नहीं जा रही है लेकिन महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों की ओर से इस बात की चर्चा है कि गया संसदीय क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल का ही उम्मीदवार बनाया जा सकता है। क्योंकि कांग्रेस भाजपा के साथ साथ यहां राजद, जनता दल(अब नहीं) यहां प्रतिनिधित्व कर चुका है।
मुकाबला तो एनडीए-महागठबंधन के बीच ही होगा
ऐसे में राजद-कांग्रेस-वाम दलों की आपसी सूझबूझ के बाद क्या होगा यह तो कहना मुश्किल है लेकिन सर्वाधिक संभावना राजद के खाते में यह सीट बंटवारे में मिलने को है। जदयू-भाजपा के बीच खट्टे-मीठे तो कुछ कड़वे रिश्ते का असर क्या होगा यह देखना होगा। गया संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां मुकाबला आमने सामने का होता है। ऐसे में 2024 का चुनाव एनडीए बनाम महागठबंधन ही होने की उम्मीद है।
मन को टटोलने की कोशिश जारी
पिछले दिनों गया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन हुआ। फिर कुछ दिन बाद दोनों के गया आने की उम्मीद है। इस बीच बिहार के इस सीट पर उम्मीदवार बनाया जाना हर गठबंधन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। गया की जनता का मन टटोलने की कोशिश जारी है। सभी दल अपनी तरफ से चुनाव के लिए तैयार हो गए हैं, सिर्फ अब उम्मीदवारों की घोषणा और चुनाव की घोषणा बाकी है।
इसी उम्मीदों के साथ जी तोड़ मेहनत कर रहे उम्मीदवार अपने अपने ‘पर’ के बल पर उड़ान भरते हुए संसद भवन में अपने अपने आशिएने की तलाश में राजनीतिक दलों के आकाओं के सामने दरबारी की मुद्रा में रोज हाजिरी और पैरवी लगा रहे हैं।