देवब्रत मंडल
गया शहर के रहनेवाले आयुष नामक एक लड़के को नौकरी करने के लिए ऑफर लेटर आया है। वो भी सरकारी स्तर पर। आयुष को गुजरात के अहमदाबाद में एक नियोक्ता कंपनी की तरफ से नौकरी करने के लिए ऑफर लेटर दिया तो आयुष काफी खुश हो गया। होगा भी क्यों नहीं, भला इसे नौकरी जो मिल रही है। बेरोजगारों की भीड़ में इसका चयन किसी अजूबा से कम नहीं। जिस देश में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर आम चुनाव 2024 हो रहे हैं। लंबे लंबे भाषण दिए जा रहे हैं तो आयुष की तो मानो लॉटरी निकल आई है लेकिन अब आगे की कहानी जब जानेंगे तो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ऐसा भी होता है क्या?
आयुष का चयन ही गलत
आयुष कुमार उर्फ आयुष मिश्रा का चयन श्रम विभाग के इ-पोर्टल के माध्यम से आवेदन करने के बाद हुआ। उसने श्रम संसाधन एवं नियोजन विभाग द्वारा आयोजित किए गए एक रोजगार मेला में साक्षात्कार में हिस्सा लिया। इसके बाद एक नियोक्ता कंपनी ने इसका चयन किया। बाद में ऑफर लेटर भेज दिया। 22 मई 2024 को नियुक्ति के लिए बुलावा भेजा गया है।
ऑफर लेटर आने पर आयुष जाने को तैयार
ऑफर लेटर SUKHMAA SONS & ASSOCIATES नामक एक कंपनी ने भेजा तो आयुष जॉइन करने के लिए तैयारी शुरू कर दिया। जब घर परिवार वालों ने जानना चाहा कि कहां नौकरी लगी है, किस कंपनी में नौकरी लगी है, कितना वेतन देगा आदि कई सवाल करने लगे। लड़के ने ऑफर लेटर घर परिवार को दिखाया।
यहीं से उठने लगे सवाल कि आखिर कैसे चयन हुआ
जब ऑफर लेटर देखा गया तो लेटर के अनुसार जो जो डॉक्यूमेंट लेकर आने की बात कही गई है उसके अनुसार आधार कार्ड, 10th का सर्टिफिकेट, आईटीआई के सर्टिफिकेट और मार्क्सशीट आदि ले जाना है। यह बात जब सामने आई तो आयुष के शैक्षणिक योग्यता और सर्टिफिकेट और आधार कार्ड देखा गया तो पाया गया कि आयुष की उम्र 18 वर्ष पूरा नहीं हुआ है। इसकी जन्मतिथि 01.01.2007 है। आईटीआई की पढ़ाई भी अभी पूरी नहीं हुई है आदि आदि। तब परिवार वाले सोच में पड़ गए कि आखिर इसका चयन कैसे हो गया?
नौकरी पर जाने से रोका तो तरह तरह की बात
आयुष के रिश्ते में एक बड़े भाई ने magadhlive को बताया कि जब आयुष को अहमदाबाद जाने और नौकरी पर जाने से रोका जाने लगा तो घर में धमकी देने लगा कि यदि उसे नहीं जाने दिया गया तो तरह तरह की बातें करने लगा। परिवार असमंजस में है कि अब किया भी तो क्या किया जाए?
नियोक्ता कंपनी के साख पर प्रश्नचिन्ह
नियोक्ता कंपनी के एचआर ने जो कहा, उससे कंपनी के साख पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है। इस बारे में जब उन्होंने नियोक्ता कंपनी के एचआर स्मृति रंजन से आयुष के रिश्तेदार ने सारी बातें बताई कि अभी आयुष की उम्र 18 साल नही हुआ है तो कैसे इसका चयन किया गया? इस पर एचआर ने जो बात कही, उसके अनुसार नाबालिग को काम पर नहीं रखा जा सकता है और आयुष को घर पर ही रोक लें। जब अभिभावक ने एचआर से जानना चाहा कि यह सब गड़बड़ी कैसे और कहां से हुआ तो इस तरह के सवालों के जवाब नहीं दे सके और इधर उधर की बातों से टालमटोल करने लगे।
रिश्तेदार कर रहे जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग
इस संबंध में आयुष के रिश्तेदार कृष्ण कुमार पांडेय का कहना है कि इसकी सही तरीके से जांच होनी चाहिए। जो भी लोग आयुष के चयन प्रक्रिया में शामिल रहे हैं, यदि उनकी गलतियां जांच में सामने आती है तो उन सभी पर कार्रवाई होनी चाहिए। श्री पांडेय का कहना है कि हो सकता है ऐसी गड़बड़ी और किसी के साथ हुई होगी या हो रही है और आगे की भी इसकी संभावना है।